Saturday, November 20, 2010

हस्तमैथुन या यौन अंगों को स्वयं उत्तेजित करना

एक सामन्य शारीरिक मनोविज्ञान से जुडी प्रक्रिया इसे यौन तुष्टि हेतु पुरूष स्त्री सभी करते है

हस्तमैथुन या यौन (चूत )अंगों को स्वयं उत्तेजित करना लड़कों तथा लड़कियों द्वारा की जाने वाली सामान्य क्रिया होती है. विज्ञान द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि इससे कोई हानि नहीं होती है. यहां महिलाओं द्वारा यौन अंगों को स्वयं उत्तेजित करने के तरीके बताए जा रहे हैं जो उन्हें बेहद संवेदनशील अनुभव देने के साथ प्रबल उत्तेजना प्रदान करेंगे , चाहे वह अकेले हो या फिर अपने पार्टनर के साथ. महिलाएं यदि यौन अंगों को कभी स्वयं उत्तेजित नहीं की हैं तो इस बात की भी संभावना रहती है कि सेक्स क्रिया के दौरान उन्हें पर्याप्त उत्तेजना से वंचित रहना पड़े. औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र के दौरान हस्त मैथुन शुरू कर देते हैं. इसके विपरीत महिलाएं तरुणाई (13 से 19 वर्ष ) के अंतिम दौर में हस्त मैथुन शुरू करती हैं, लेकिन यह मामला इतना ढंका और छिपा होता है कि किसी से भी चर्चा में भी सामने नहीं आने दिया जाता है. पूर्ण तरुण होने पर हस्तमैथुन का मामला खुले रहस्य की ओर झुकाव लेने लगता है. ज्यादातर लोग इस मामले पर पर्दा ही पड़े रहना देना चाहते हैं. लेकिन अब कुछ ऐसे युवा तैयार हो रहे हैं जो इन वर्जनाओं को तोड़ कर हस्तमैथुन के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं और खुलेतौर पर हिस्सा ले रहे हैं.

अनुक्रम

पुरूष कैसे करते है

Caucasian man masturbating.jpg

पुरुष अपने शिश्न को अपनी हथेली मे दबा कर अपनी अंगुलियाँ से इसे पकड़ लेते हैं, और इसे रगड़ना और हिलाना शुरु करते है वो यह प्रक्रिया कभी कभी चिकनाई लगा कर भी करते है । ये कार्य वे तब तक करते है जब तक उनका वीर्यपात नहीं हो जाता है ।

इसके अतिरिक्‍त पुरूष तकिये में अपना लिगं दबा कर धीरे धीरे इस तरह हिलाते हैं मानो वे किसी स्‍ृी की योनि में अपना पुरूषांग प्रविष्‍ठ करवा रहे होंा पश्चिमी देशों में इस प्रकार के नकली महिला जननांग भी उपलब्‍ध हैं जो चमडे से बने होते है एवं महिला जननांग जैसा ही अनुभव देते हैं। वहॉं के पुरूषों द्वारा इस प्रकार के उपाय भी स्‍वयं की संतुष्टि हेतु किये जाते हैं।

स्त्री कैसे करती है

Masturbating hand.jpg

स्त्री अपनी योनि को हिलाना या रगड़ना शुरू करती है खासतौर पे वे अपने भगशिश्न को अपनी पहली या मध्यम अंगुली से हिलाती है
कभी कभी योनि के अन्दर १ या ज्यादा अंगुलिया डालकर उस हिस्से को हिलाना शुरू करती है। जिस स्थान पर जी बिन्दु या जी स्पाट होता है इसके लिए वे वाइब्रेटर,डिल्डोया बेन वा गेंदों का सहारा भी लेती है
,बहुत सी महिलाए इसके साथ साथ अपने वक्षो को भी रगड़ती है ,कुछ महिलाए गुदा को भी उत्तेजित करती है, कचु इसके लिए चिकनाई का प्रयोग करती है लेकिन बहुत सी महिलाए प्राक्रतिक चिकनाई को ही काफी समझती है
कुछ महिलाए केवल विचार और सोच मात्र कर के ही मदनोत्कर्श तक पहुँच जाती है ,
कुछ महिलाए अपनी टाँगे कस के बंद कर लेती है और इतना दबाव बना लेती है जिस से उन्हें यौनसुख अनुभव हो जाता है
ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पे बिना किसी की नजर में आए कर लेती है
इस क्रिया को महिलाए बिस्तर पे सीधी या उल्टी लेट कर कुर्सी पे बैठ कर ,खद्रे रह कर या उकदू बैठ कर करती है
लेकिन वह क्रिया जिसे बिना शारीरिक समपर्क के पूरा किया जाता है इस श्रेणी में नही आती है

भारतवर्ष में महिलाओं द्वारा हस्‍तमैथुन के लिए सब्जियॉं यथा लंबे बैगन,खीरा, ककडी आदि अपने जननांग में प्रविष्‍ठ करवा कर भी संतुष्टि प्राप्‍त की जाती है। यह भी देखा गया है कि कुछ महिलायें पलंग के किनारे, मेज के किराने आदि से अपने यौनांग रगड कर सुख प्राप्‍त करती है।

यदि आप हस्तमैथुन के लिये नई हैं तो अपना समय और स्थान सावधानी पूर्वक चयन करें और एक दृश्य निर्मित करें. इसके लिये बेहतर आइडिया है कि यह तब किया जाय जब आपके घर के सभी लोग बाहर हों . इससे आपमें एक आत्मबोध तो होगा ही साथ ही आपको किसी तरह का डर भी नहीं होगा. इसकी शुरुआत के लिये अपना फोन बंद कर दें, साथ ही यह सुनिश्चित कर लें की आपको किसी तरह की जल्दबाजी नहीं हो. यदि आप दबाव में हैं तो इस दौरान नहाना लाभदायक होगा. धीमा और शांत संगीत बजाएं और अपनी उधेड़बुन से दूर हों. अब आप सेक्सी सोचने और अनुभव करने में सक्षम हैं वह भी बिना रुकावट या बिना दोषी होने की अनुभूति के साथ और यह अनुभूति प्रतिदिन की हस्तमैथुन बिना सोच से बेहतर होगी. ज्यादातर महिलाएं इस वक्त हाथ में लिये जा सकने वाले आइने से अपने गुप्तांगों और जननागों को देखना पसंद करती हैं. यह महत्वपूर्ण भी है कि आप अपने शरीर के बारे में अच्छा और बेहतर ज्ञान रखें, अन्यथा सुना सुनाया फूहड़पन आपको दिमागी अंधेरे की ओर ले जाएगा. इसलिए अब आइना देखना शुरू कीजिए . अब जब संतुष्ट हो जाएं और उत्तेजना का एहसास होने लगे तो शीशे को एक किनारे रख दो और अपने शरीर को छूना शुरू करें. स्तनों, पेट और जांघों को थपथपाते हुए सहलाएं और हर उस जगह अपना हाथ फेरे जहां आपको आनंद की अनुभूति मिलती है. आनंद की प्राप्ति में बाधक बन रही हर सोच व डर को बाहर निकाल दें. आप चाहें तो सहलाने के दौरान मसाज आयल का प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही कोई अच्छे स्निग्ध द्रव का प्रयोग करें जब आप अपने भगशिश्न को उत्तेजित कर रहीं हों. अपनी कल्पनाशीलता का प्रयोग करें. यह हस्तमैथुन के तरीकों की वह चाभी है जिसकी ओर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते हैं. जबकि हमारे सेक्सुअल आनंद का ज्यादातर जिम्मेदार हमारा दिमाग ही होता है. किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचे जिसके साथ सेक्स करने की इच्छा रखती हों या अपने पार्टनर को कल्पनाओं में लाएं. अब उस तरीके के बारे में सोचे कि किस तरह से उसके साथ सेक्स करने की इच्छा है साथ ही उस जगह की कल्पना करें जहां सेक्स करना आपको सबसे आनंददायी लगता है. इस तरह आप अन्य कामुक दृश्यों की कल्पना कर उत्तेजना को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. जैसे-जैसे आपकी कल्पनाशीलता बढ़ती जाएगी आप तीव्र उत्तेजना का अनुभव करने लगेंगी. अब जब सनसनी सी महसूस होने लगे तो बड़े ही सौम्य तरीके से जननेन्द्रियों को छुएं. बाह्य भगोष्ठ को थपथपाते हुए सहलाएं, दबाएं और रगड़े वह भी तब तक की जब तक की आप को यह न पता चल जाए कि किस तरीके से ज्यादा आनंद की प्राप्ति होती है. अब अपनी उंगलियों को थूक से गीला करें या फिर कोई स्निग्ध द्रव (lubricant) लगाएं. अब सहलाने की क्रिया भगशिश्न पर फोकस करें. अपनी उंगलियां भगशिश्न पर फिराएं, सहलाने के दौरान दबाव और दिशा बदलने का प्रयास करें. कभी किनारे-किनारे तो कभी वृत्ताकार घुमाएं और देखें कि किसमें ज्यादा मजा आता है. अब जब आप तीव्र उत्तेजित हो जाते हैं तो आप देखेंगे कि भगशिश्न की टोपी (clitoral hood) पीछे खिंच गई है. अब आप खुले भगशिश्न के सिरे को सहलाकर ज्यादा आनंद की प्राप्ति कर सकतीं है. कई महिलाएं इस प्वाइंट को लेकर काफी संवेदनशील होती हैं. यहां हम आपको यह बता देना चाहते हैं कि उत्तेजना के लिये कोई भी तरीका चुना जाए लेकिन जरूरी यह है कि उसे सतत् और दृढ़ लय के साथ बनाए रखे . कई बार जब कोई दूसरा महिला में उत्तेजना नहीं पा रहा होता है तब भी ज्यादातर महिलाएं अपने यौन अंगों को स्वयं उत्तेजित कर सकती हैं. क्योंकि भगशिश्न की उत्तेजना के अनुभव से योनि में कुछ तरंगे सी हलचल करने लगती हैं. जिससे तीव्र उत्तेजना की प्राप्ति होती है. वहीं इसके विपरीत भगशिश्न चरमोत्कर्ष के पश्चात छूने पर असहज सा महसूस कराती है. जब आप हस्तमैथुन को लेकर सहज हो जाएं तो प्रयास करें की शीशे के सामने हस्तमैथुन करें. ऐसे में आप देख सकते हैं कि उत्तेजना के दौरान आपके अंग कैसी प्रतिक्रिया देते हैं. इससे जहां आनंद की अनुभुति में बढ़ोत्तरी होगी वहीं आप अपने सेक्सी लुक का लुत्फ भी उठा सकेंगी.

महिला हस्तमैथुन के प्रसिध्द तरीके ज्यादातर महिलाएं , ज्यादातर समय हस्तमैथुन के लिये बेड या सोफे में टांगे फैला कर लेटना या पीठ के बल टिकना पसंद करती हैं. उनका फोकस मुख्यतः भगशिश्न पर होता है. पर कइयों को प्रवेश में मजा आता है. विशेषकर जब वे ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं. इन पोजीशनों में वे भगशिश्न को ज्यादा अच्छी तरीके से पा सकती हैं और छूने के विभिन्न तरीकों पर प्रयोग कर सकते हैं. ज्यादातर महिलाएं लय बनाए रखना पसंद करती हैं. वहीं कुछ रुकना फिर शुरू करना पसंद करती हैं. यहां एक बात यह भी बता देना जरूरी है कि तीव्र उत्तेजना के लिये जैसे ही आवेग को पाते जाते हैं , आप अपने पैरों की एड़ियों पर दबाव डाल कर जांघों के बीच के हिस्से को उठाकर तनाव का प्रयास करें इससे उत्तेजना की तीव्रता में काफी इजाफा होगा. इसके अलावा एक और तरीका है जो ज्यादा उपयोग किया जाता है वह कि पलंग या सोफे के हत्थे पर तकिया लगा कर उसके ऊपर बैठ जाएं. फिर टांगे फैलाकर थोड़ी दृढ़ता से बैठे. अब भगशिश्न को अपने हाथों से उत्तेजित करें. अंत में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि किस तरीके से आप स्वयं को ज्यादा उत्तेजित करते हैं, जरूरत है कि आप अपने पार्टनर से यह बातें बांटे कि किस तरीके में आप बेहतर महसूस करती हैं. साथ ही उसे करके दिखाएं कि सेक्स प्ले के दौरान वह किस तरह से आपको उत्तेजित कर सकता है. इससे आपको पूर्ण संतुष्टि मिलने के साथ-साथ उसे भी उत्तेजना का पूरा अवसर मिलेगा.

परस्पर हस्तमैथुन

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जब स्त्री-पुरूष दोनो एक दूसरे को यौन सुख देने हेतु एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है तो उसे यह नाम दिया गया है


Tuesday, November 9, 2010

मेरे अनछुए सेक्सुअल अनुभव - 01

मेरे अनछुए सेक्सुअल अनुभव - 01

उस दिन किरण के साथ जो कुछ भी किया , उससे मैंने एक लड़की की जिंदगी के उस छिपे हुए पहलु को जान लिया था और अब जब भी कभी सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन होती तो मैं हस्तमैथुन कर लेती थी. तीन - चार महीने तक हम लोग साथ मिल कर इस तरह से अपने इस नए प्रयोग को अंजाम देते रहे. इससे आगे नहीं बड़े. पर अब हम एक दुसरे के प्रति और खुल गए थे.

अब बात करती उन दिनों की जब मैं हस्तमैथुन नियमित करती थी, पर सिर्फ उत्पन्न हुयी उत्तेजना शांत करने के लिए. अभी तक मैंने कोई पेनिस नहीं देखा था (मेरा मतलब मेरी उम्र के लड़कों का) पर अंदाज था की छोटे बच्चों के पेनिस से थोडा बड़ा ही होगा. किरण बताती थी की उसके भैया का पेनिस काफी बड़ा है, तो मैंने पुछा की तुझे कैसे पता? तो उसने बताया की उसकी लता भाभी में बताया बातों बातों में. अब मन मैं पेनिस को लेकर कई सवाल उठने लगे थे. और यह सवाल हल हुआ लगभग एक साल बाद, जब हम दोनों अपने स्कूल के एक फंक्शन की तयारी कर रहे थे. मैं रिहर्सल में किरण की हेल्प कर रही थी और हम लोग एक ड्रामा प्रेसेंट करने वाले थे. मुझे बहुत जोर से टॉयलेट लगी, हमारे स्कूल का टॉयलेट खेल के मैंदान की दूसरी और था और में वहां तक नहीं जाना चाह रही थी और किरण भी व्यस्त थी और वो भी नहीं जा रही थी साथ में. तभी किरण ने कृष्ण को मेरे साथ वहां तक जाने और वापस लाने को कहा और मैं उसके साथ चली गयी. वहां पहुंची तो पता चला की सारे टोइलेट्स भरे हुए थे. मुझसे रुका नहीं जा रहा था तो कृष्ण ने सुझाव दिया की मैं किसी खाली क्लास रूम में टॉयलेट कर सकती हूँ. मुझे आईडिया अच्छा लगा. हम तुंरत एक खाली क्लास रूम की और चले. और मैं क्लास रूम में अन्दर गयी और दरवाजा फेरते हुए बोली, 'मैं अभी आती हूँ, देखना कोई आये न..!'

वो बाहर ही रुक गया और में अन्दर एक कोने में आ कर अपने पायजामे की गाँठ खोलने लगी. मेरा टॉयलेट का प्रेस्सर बढता ही जा रहा था और घबराहट में मेरे से नारे की गाँठ भी नहीं खुल पा रही थी और जैसे ही नारे की गाँठ खुली मेने पायजामा नीचे किया और पैंटी नीचे घुटनों तक की और बैठने से पहले ही टॉयलेट करना चालू कर दिया. धार मेरी टांगों के बीच से होती हुयी फर्श पर गिरने लगी और कमरे में एक हलकी सी Sshhhhhhh..... की आवाज आने लगी, अभी तीन चार सेकेंड ही हुए थे की अचानक कृष्ण अन्दर आया और चिल्लाया ,'जल्दी जूही, पाठक मैडम आ रही हैं इस तरफ!'
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मैं फर्श पर टॉयलेट करते हुए उसे गुस्से से देखती हुयी बोली, 'ये क्या कृष्ण ? तुम अन्दर क्यों आये...मैं टॉयलेट कर रही हूँ.' वो बोला,'मैं क्या करता ? बाहर रहता तो मैडम पूछती की यहाँ क्या कर रहे हो? तो मैं क्या जवाब देता ?' वो वास्तव मैं सही कह रहा था. मैं इस तरह बैठी थी की मेरी पीन्थ उसकी तरफ थी, मैंने काफी कोशिश की उससे अपने हिप्स छिपाने की पर वो मुझे शुशु करते देख चूका था. उसने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया था. मेने टॉयलेट कर लिया था और अब मैं यही सोच रही थी इसके सामने खड़े होकर पायजामा और पैंटी कैसे पहनू? पर मैंने हिम्मत की और कड़ी हुयी और जैसे ही खड़ी होकर अपनी पैंटी चडानी चाही तो मुझे कुछ पानी सा गिरने की आवाज आयी..तो मुड़कर देखा तो कृष्ण भी शुशु कर रहा था. पर जो देखा उसे देख कर मेरे हाथ पैंटी चडाना भूल गए. कृष्ण मेरे पीछे खड़े होकर एक और टॉयलेट कर रहा था. उसने अपने पेनिस को अपने हाथ में ले रखा था और उस में से शुशु निकल कर फर्श पर गिर रही थी. oh my god..पहली बार देखा था ऐसा....तो एक शोक सा लगा था, मेरी पैंटी मेरे घुटनों में थी और पयाजामी उससे भी नीचे.. सिर्फ कुर्ती थी जिसने मेरी पूसी को और मेरी जाँघों को ढाका हुआ था.

वो मेरे को देखता हुआ बोला, 'सॉरी जूही..मुझे भी लगी थी....तुम्हे बुरा तो नहीं लगा...प्लीज मुझे माफ़ कर देना...'
पर में तो एकटक उसके लिंग (पेनिस) को देखे जा रही थी. वो १५ साल का था उस समय और उसका पेनिस करीब ५ इंच का हो चूका था जिसे उसने अपनी पेंट की जिप में से बाहर निकाल रखा था. मैंने सिर्फ उस से यही पुछा उस समय, 'यह क्या इतना...ब.. बड़ा होता है..?'

और वो हस्ते हुए बोला,'वैसे तो छोटा ही रहता है, पर तुम्हे अभी जैसे देखा तो यह बड़ा हो गया!' मुझे यह बात उस समय बिलकुल समझ नहीं आयी. वो टॉयलेट कर चूका था और अपने लिंग को धीरे धीरे मल रहा था. मेरी पूसी भी गीली होने का एहसास देने लगी और तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया. मेरे पूरे बदन में जैसे बिजली का करेंट लग गया